याद
राकेश तिवारी
पूंजी पायी याद की, चलती चलती आय/
भक भक करती रेल सी, टेसन टेसन जाय/१/
जितनै भागै याद से, उतनै सकिलत आय/
थोरै अवसर पाए जो, जेहन में मड़राय/२/
भरी सभा में पैठती, तनिकौ नहीं लजाय/
सोवत जागत ना तकै, दबे पाँव चलि आय/३/
मनवा में लागै भली, हौले से सिहराय/
मानो कोमल पंख से, कोई तन सहलाय/४/
रह रह ऐसा छेड़ती, मन ही मन मुस्काय/
राह छोड़ चलने लगे, मंजिल से भटकाय/५/
याद महकती माधुरी, मह मह करती आय/
दूरी योजन देश की, पल भर में लपटाय/६/
बालापन की याद वो, नरम नरम सी आय/
जैसे शाख प्रशाख पर, किसलय नई सुहाय/७/
याद गुनगुनी धूप सी, कालेज की जब आय/
मंद पवन सी सुरसुरी, गुद-गुद करती जाय/८/
याद पीय की टीसती, छन छन आवे जाय/
समझु न आवे आपु तो, बिरहन बूझौ जाय/ ९/
महतारिन को याद वो, जीवन भर तड़पाय/
लरिका बसे विदेश में, लरिकी करी विदाय/१०/
आँखिन में सुधि बस रही, खुली बंद में आय/
तड़का मारैं दाल में, ह्रदय मरोड़ा खाय/११/
याद सुनहरी लीक सी, युवा काल की आय/
चारों धाम में घूमती, चलती है पिछुआय/१२/
उस ज़ालिम की याद वो, अंतर नहीं अमाय/
मानो बैरी हुमचि कै, छूरी रहा चलाय/१३/
ऐसी दुखती याद वो, नश्तर मनो चलाय/
पल पल खुरचै भीतरै, काटि कलेजा खाय/१४/
जीत हार की याद तो, सदियों तक सुलगाय/
रार बढ़ावै जंग में, इतिहास बदलती जाय/१५/
सतकरमन की बेल तो, यादों में लहराय/
वीर शहीदी याद पर, माथा झुक झुक जाय/१६/
याद सलोने रूप की, लहरि लहरि कै आय/
पुनि पुनि सम्पुट सी उठै, बंशी बोल सुनाय/१७/
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27-29 March, 2011
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