होली में
राकेश तिवारी
फागुन की झोली से ले लो, मन माने रंग होली में.
नाचो गाओ रंग उड़ाओ निकल पड़ो अब टोली में.
महक रहा है सारा जंगल मगन हो रहा होली में.
टेसू सेमल रंग उड़ाते महुआ उतरा तन मन में.
जला बैर होलिका के संग बांटो मस्ती होली में.
रंज दुश्मनी भूल भुला कर अंक लगा लो जोड़ी में.
भंग घुट रही घाट किनारे देखो फिर अब होली में.
बिन छाने ही मस्त हो रहे होरी गावें गावन में.
लगा अबीर गुलाल गाल पर हाथ जोड़ लो होली में.
जैसी चाहो मन की कह लो, बातें जरा ठिठोली में.
पिछले रंग चटक हो छिटके मन के अन्दर होली में.
चलो चलें उस ठौर पे फिर से रंग लें मन को यादों में.
याद आ रही वही शरारत करते रहते जो होली में.
चुपके से टाइटिल लिखते फिर हँसते रहते कोने में.
कुछ लोगों को तीखे लगते तुनके रहते होली में.
रस ले ले कर हम सब कहते बुरा न मानो होली में.
सभी मित्रों को होली की शुभ कामनाएं
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