इसी बहाने घूमे टहले,
बोले बहके, नई डगर पे,
विस्मय भर भर देखे समझे,
पर्वत बादल धरती पानी,
हासिल पाए नए तजुर्बे,
एक टिकट में दो दो खेले,
दाम वसूले घलुए में !
रहे ज़माना ठेंगे पे !!
विस्मय भर भर देखे समझे,
पर्वत बादल धरती पानी,
हासिल पाए नए तजुर्बे,
एक टिकट में दो दो खेले,
दाम वसूले घलुए में !
रहे ज़माना ठेंगे पे !!
24 August 2024