Friday, July 12, 2024

मानो अंतिम श्वास तक में बसे रहना हो।

 मानो अंतिम श्वास तक में बसे रहना हो।  


सुख के पल आ जाते हैं,  
कभी कभी अचानक, 
जिनके बारे में कभी सोचा ना हो। 

सुख के वे पल भी आते हैं,
कभी कभी, जिनका !
बहुत दिनों से बहुत इन्तिज़ार रहा हो।  

सुख के पल आ जाते हैं,  
कभी कभी ऐसे,   
जैसे जन्मों का नाता रहा हो।  

दुःख भी आते हैं 
कभी कभी अचानक, 
कभी कभी नियति से सुनिश्चित। 

ज्यादातर सुख और दुख 
दोनों आते रहते हैं जैसे 
बस उनको आना-जाना ही हो।  

कुछ दुःख आते हैं 
गहरी टीस संग ठहरने के लिए, 
मानो अंतिम श्वास तक में बसे रहना हो।  

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