'बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !! '
किसी ठिकाने ठौर न पावे,
पता नहीं क्या मंजिल आगे,
कहाँ टिकेगा सांझ सकारे,
बन बन यूंही भटकन वारे,
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!
मनमोहन ये कूल किनारे,
गमक भरे ये उपवन न्यारे,
भर-भर नेह लुटाने वाले,
छूटेंगे पग पग पर प्यारे,
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!
मिला कहाँ क्या छूटा कैसे,
हुई खता क्या रूठे कैसे,
गगरी ये वो फूटी भरके, ,
मन मायामय बहु भरमाये,
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!
अनचीते की तीती बातें,
सिरजे तीखे मीठे नाते,
जो पावै सो ही गंठियाये,
चला-चला चल यूं भिन्सारे,
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!
बिसरि बसाए कसक सिराए,
भरि-भरि माथे उफन बहाए,
घाट-घाट कै पानी परसै,
सर सागर सरजमीं मंझारे,
बाँध बिछौना बढ़ बनजारे !!
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