Tuesday, March 26, 2019

'घरो-घर गवाय !!'

घरो-घर गवाय !!' 

निम्बिया गइल पियराय हो रामा !!  
निम्बिया गइल पियराय !!

पाती पत्ताय उड़ि चहुँ ओर छा-अ-य, 
सूख रूख घाम कस जिव उचटा-अ-य।  

पोर-पोर आलस अमाय अस आ-अ-य, 
जियरा हो अन-मन बिखरल जा-अ-य।  

निम्बिया गइल पियराय !!

गुलाबी लाल फूल, लट मंजर महा-अ-य,
फूलै कुन्द गेंदवा, ओ हियरा लुभा-अ-य।  

चटखे कनेर साजे सगरे ह पीयर, 
चांदनी चोरावै चित रतिया हो रामा।   

निम्बिया गइल पियराय !!

काँची काँची कोपल अ बिरवन-अ-पीपर, 
ओदी ह बयरिया, बिहनिया-अ बहा-अ-य।  

सूनसान सना-मन्न गाँव गली पसरल, 
बिसरल जमनवा ह घेरि-फेरि आ-अ-य !! 

निम्बिया गइल पियराय !

झूरल हो बिजवा, चलल अंखुवा-अ-य,  
बनवा मैं लतरी, हरित लपटा-अ-य !!

हेरि हेरि थकै फेरि मुनरी हेराय,
सुध सोच ठीहे ठहि जाय छितराय !!  

निम्बिया गइल पियराय !!

गाछ सेमल पलाश, झूलै फुलवा अंगार,
लाल लाल लाल लागै सगरौ हो आग !!

गमक गहै बनवा, मोहे महुआ बिराय,  
धाय कोयल कुहाय, नाहीं रचिकौ सुहाय !! 

निम्बिया  गइल पियराय !!     

नाहीं सेजिया लुभाय, नाहीं निदिया अमाय,
होखै जियरा उतान, कहाँ गइला हो हेराय !!

कासे कहै मनवा कै ! बहु अकुलाय !!!
चैत माह, चै-अ-ती, घरो-घर गवाय !!
  
निम्बिया गइल पियराय हो रामा !!  
निम्बिया  गइल पियराय !!   
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