Saturday, December 30, 2017

जशन मनाए मतवाला

जशन मनाए मतवाला

उत्सवधर्मी हिन्द देश यह, मौज मनाता अलबेला,
बरस बरस का परब संजोए हँसता गाता मनमाना।
गंगा जाए, माघ नहाए, कुम्भ जुटाए कस मेला,
व्रत उपवास मकर-संक्रान्ती एकादशी अमावस्या।
चन्दन-षष्ठी भानु-सप्तमी घाट-कुँआ पानी पूजा,
होली हो या हो दिवाली, सूर्य-ग्रहण चन्दा पूरा।
गुड़हल फूला, आज अष्टमी कल से नवरातन पूजा,
हरसिंगार बन महुआ फूला, सप्तपर्ण महकै वाला।
करमा नाचै, बिरहा गाए, मादल बाजै, माटी वाला,
सात वार में नौ त्योहारी, पण्डित अपना दिलवाला।
पल प्रतिपल है समय बदलता नया साल बन कर आता
विशू, बिहू, उगड़ी, बैसाखी, चेटी चण्ड नाम धर आता।
कहीं कहे पोहिला बैशाख ,पुथनडु, बेस्तु बरस कहलाता,
सागर तट से अखिल हिमालय नए नए नव नाम धराता।
विक्रम-शाके-ईसा-फसली, साल नए हर दिन लाता,
बहक ठुमक कर 'हैप्पी वाला' जशन मनाए मतवाला।
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फोटो : the-different-ways-to-celebrate-the-indian-new-year
(http //www.tourtravelworld.com/blog)

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