हममें ये दम कहाँ ?
१.
दस्ता हमारे साथ मिल, चलता रहा, चलता रहा,
मिलके किया सबने हवन, हमको सुफल मिलता रहा।
२.
छोटा सा है, लेकिन यही, अपना बड़ा मंदर हुआ,
करता इसी की बंदगी, दिल से यहाँ सर है झुका।
३.
दोस्ती का क्या कहें, दिल खोल कर मिलता रहा,
खाता-बही रखा नहीं, किसने कहाँ, क्या दे दिया।
४.
अपना नही, कुछ भी यहाँ, सब आप का दिया,
समिधा जुटाने में जुटा, यूं ही कलावा बंध गया।
५.
तपता हुआ गोला उठा, झकझोरता चला गया,
अमराइयों की छाँव में, अपना वहाँ झूला पडा।
६.
किस धरा पे सो रहा, मधु रस चखा किया,
झरनों से, कंदराओं से, मिलती रही दुआ।
७.
किस गाछ तर शीतल हवा, नदियों का जल छका,
एहसान हम पे जो किया, होगा यहाँ कहाँ अदा।
८
यह तो बताओ क्या खता, देते क्यों बद दुआ,
आपकी बगिया में, वो प्यारा सा गुल खिला।
९
आप ही ने तो हमें, दम साध कर गढ़ा,
ले कर सहारा, आपका, दिन रात चल सका।
१०
कितना भी अब जतन करें, होंगे नहीं जुदा,
हम तो गले लगाएंगे, सब को बना सखा।
११
समझा मुझे कुछ काम का, सबका है शुक्रिया,
छप्पर चढ़ाया आपने, हममें ये दम कहाँ ?
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