भिनसारे में भोग लगाय, घर कोने में अगर जलाय,
भगत भाव अंतरा उठाय, भज मन पटटू सीता-राम,
सीताराम जय सीताराम, भज मन पटटू सीता-राम।
नरिया फूटी सड़क खोदान, सीवर बहैं चलें उफनान,
कागद कोरे खबर सुजान, लूट मची लूटौ मनमान,
लछमी माता को परनाम, भज मन पटटू सीता-राम।
काम नहीं कछु दफ्तर जाय, पहुँच जाय तो चुहल उड़ाय,
काम किया तो नश्तर मार, कहाँ कटी ना जेब देखाय,
ऐस जिऐं सब बरखुरदार, भज मन पटटू सीता-राम।
समतामूलक देश हमार, हिलमिल करते सब रोजगार,
रजधानी हो या परधान, सब की माया अपरम्पार,
लोकतंत्र की जय-जयकार, भज मन पटटू सीता-राम।
पढ़ा लिखी होइगै व्यापार, अल्पकाल विद्या सब आन,
बात करै जो अब आचार, धकियावा जावै सब व्वार,
आज सबै को यहु स्वीकार, भज मन पटटू सीता-राम।
सबजन सब समाज सबवाद, सबकै एकै सधा निशान,
राम-रहीम भए एकसार, चौदह पर अब तनै कमान,
कैसे हू हो बेड़ा पार, भज मन पटटू सीता-राम।
आना, दो आना, ना यार, पनरह आना बहे बयार,
डांणी मारौ या तलवार, सबका चला करै व्यवहार,
संविधान कर अंगीकार, भज मन पटटू सीता-राम।
हरिणाकश्यप बजै हज़ार, होरी में बरिगे प्रहलाद,
घर बारौ जो अपनौ आय, खेलौ रंग लूट बाज़ार,
रघुपति राघव राजाराम, भज मन पटटू सीता-राम।
फगुआ चारहुं ओर उडाय, मौसम यहै बरोबर आय,
दांव लगाओ अब अर्राय, रुपियन कै अम्बार लगाय,
लै के वीर दाऊ कै नाम, भज मन पटटू सीता-राम।
फगुआ समदर्शी यहु आन, सबके माथ धरे बहकान,
अंधियारा हो या उजियार, फगुआ खेलौ भर अरमान,
तोड़उ पिंजरा खुला बिहान, उड़ जा पट्टू डैना तान.
भज मन पटटू सीता-राम, ---------
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