'पलाश-ओ-सेमल !!'
फगुनहट में दहक रहे दो फूल !!
बगिया-पगिया,परग परग, चहुं ओर !!
एक रंग, भेय डारे,दिनोदिन गढ़ाय,धोए न धोवाय !!
दूजा, फूले-चढ़े-घन,पाके फरियाय, उड़ि उड़ि जाए !!------