Monday, March 10, 2025

 'पलाश-ओ-सेमल !!'

फगुनहट में
दहक रहे
दो फूल !!


बगिया-पगिया,
परग परग,
चहुं ओर !!


एक रंग, भेय डारे,
दिनोदिन गढ़ाय,
धोए न धोवाय !!


दूजा, फूले-चढ़े-घन,
पाके फरियाय,
उड़ि उड़ि जाए !!
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