Sunday, November 24, 2024

 आज की रात फिर चांद पूरा खिला,
आज फिर से समुंदर में लहरा उठा ।
जहां भी जगत में रहेगा अंधेरा,
वहीं का सफर तय करेगा अकेला ।
रात भर का रहेगा बसेरा यहां,
कहाँ पर रुकेगा ये जाना कहाँ।
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15 Nov 2024