अखबारी मुनादी : आज है कविता दिवस
21 मार्च 2020
कविता - कोई नियत
पल-दिवस नहीं देखती।
आती है अपने से
भावों में बहती।
इस बार नहीं आयी
होली पर भी,
भावों की झोली भी
रह गयी कोरी कोरी। ।
क्या करती,
नए रंगों की पिचकारी !
अभी तलक है वैसी ही
जस की तस रची रंगी,
पिछली होली की रंगोली !